By: डा0 मकसूद आलम सिद्दीक
एक ही पूज्य
अहोरात्राणि विदधद्विश्वस्य मिषतोवशी।
सूर्याचन्द्रमासी धाता यथापूर्वमकल्पयत्।।
दिवं च पृथिवी चासन्तरिक्षमथो...
कुछ गै़र-मुस्लिम भाइयों की यह आम शिकायत है कि संसार भर में इस्लाम के माननेवालों की संख्या लाखों में नही होती, यदि इस धर्म को बलपूर्वक नहीं फैलाया गया...
By: मुहम्मद जैनुल-आबिदीन मंसूरी
ऐ लोगो, बन्दगी इख्तियार करो अपने उस रब की जो तुम्हारा, और...