नमाज़

नमाज़

प्रत्येक दिन पाँच बारा निर्धरित विधि से निर्धरित समय निर्धारित मात्रा में हर बालिग और होश मन्द को मर्द और औरत पर नमाज अद करना अनिवार्य है|हर नमाज कुछ निर्धारित अंश पुरुष के लिये सामूहिक तौर पर मस्जिद में(जमात से,इमाम के पीछे)मस्जिद में अदा कर ने पर जोर दिय गया है ताकि मेल जोल और अनुशासन का अतिरिक्त लाभ भी व्यक्ति व् समाज को बराबर मिलता रहे


इसे हिन्दुस्तानी में नमाज़ भी कहते हैं। यह एक प्रकार की प्रार्थना है जो अरबी भाषा में एक विशेष नियम से पढ़ी जाती है। इस्लाम के अनुसार नमाज़ ईश्वर के प्रति मनुष्य की कृतज्ञता दर्शाती है। यह मक्का की ओर मुँह कर के पढ़ी जाती है। हर मुसलमान के लिये दिन में ५ बार नमाज़ें पढ़ना अनिवार्य है। मजबूरी और बीमारी की हालत में इसे टाला जा सकता है और बाद में समय मिलने पर छूटी हूई नमाज़ें पढ़ी जा सकती हैं।