क़ुरआन और अल्लाह की महान सत्ता
Author Name: क़ुरआन की शीतल छाया :डॉ0 मुहम्मद ज़ियाउर्रहमान आज़मी (एम.ए., पी.एच.डी.)

क़ुरआन और अल्लाह की महान सत्ता

क़ुरआन ईश्वर की महान सत्ता को विभिन्न प्रकार से बयान करता है। पृथ्वी और आकाश में जो कुछ भी है सबको उसी ने बनाया है। इसलिए कण-कण उसकी महान सत्ता के गीत गाते हैं और उसी की बड़ाई बयान करते हैं। अब यह मनुष्य की गलती है कि अपने जैसों को ईश्वर बना बैठे और उनकी उपासना करे। आइए क़ुरआन की कुछ आयतों (श्लोक) का अध्ययन करें और उसकी महान सत्ता का गुणगान करें।

‘‘या फिर उदाहरण के रूप में उस व्यक्ति को देखो, जिसका एक ऐसी बस्ती पर से जाना हुआ जो अपनी छतों पर औंधी गिरी पड़ी थी। उसने कहा: ‘‘यह आबादी, जो विनष्ट हो चुकी है, इसे अल्लाह किस प्रकार पुन: जीवन प्रदान करेगा?’’ इस पर अल्लाह ने उसके प्राण ग्रस्त कर लिए और सौ वर्ष तक वह निर्जीव पड़ा रहा। फिर अल्लाह ने उसे पुन: जीवनदान दिया और उससे पूछा: ‘‘बताओ कितनी अवधि तक पड़े रहे?’’ उसने कहा: ‘‘एक दिन या कुछ घण्टे रहा हूंगा।’’ कहा: ‘‘तुम पर सौ वर्ष इसी दशा में बीत चुके हैं। अब तनिक अपने खाने और पानी को देखो कि उसमें तनिक परिवर्तन नहीं आया है। दूसरी ओर तनिक अपने गदहे को भी देखो (कि उसका पंजर तक जीर्ण हो रहा है) और यह हमने इसलिए किया है कि हम तुम्हें लोगों के लिए एक निशानी बना देना चाहते हैं। फिर देखो कि हड्डियों के इस पंजर को हम किस प्रकार उठाकर मांस और चर्म उस पर चढ़ाते हैं।’’ इस प्रकार जब वास्तविकता उसके समक्ष प्रकट हो गई तो उसने कहा: ‘‘मैं जानता हूं कि अल्लाह को हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है।’’ (क़ुरआन 2:259)

‘‘अल्लाह ने स्वयं इस बात की गवाही दी है कि उसके सिवा कोई आराध्य नहीं है और फ़रिश्ते तथा सब ज्ञानवान भी सच्चाई और न्याय के साथ इस पर गवाह हैं कि उस बलशाली गहरी समझवाले के सिवा वास्तव में कोई आराध्य नहीं है।’’ (क़ुरआन 3:18)

‘‘कहो! ऐ प्रभु, राज्य के स्वामी तू जिसे चाहे राज्य दे और जिससे चाहे छीन ले। जिसे चाहे शक्ति-सम्मान प्रदान करे और जिसको चाहे अपमानित कर दे, भलाई  तेरे अधिकार में है। निस्संदेह तुझे हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है। रात को दिन में पिरोता हुआ ले आता है और दिन को रात में। निर्जीव में से जीवधारी को निकालता है और जीवधारी में से निर्जीव को और जिसे चाहता है बेहिसाब रोज़ी देता है।’’ (क़ुरआन 3:26-27)

‘‘निश्चय ही कुफ़्र किया उन लोगों ने जिन्होंने कहा कि मरियम का बेटा मसीह ही अल्लाह है। हे नबी, उनसे कहो कि अगर अल्लाह मरियम के बेटे मसीह को और उसकी माता और समस्त धरती वालों को विनष्ट कर देना चाहे तो किसकी शक्ति है जो उसको इस निश्चय से रोक सके? अल्लाह तो धरती और आसमानों का और उन सब चीज़ों का मालिक है जो धरती और आसमानों के बीच पाई जाती हैं, वह जो कुछ चाहता है पैदा करता है और उसे हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है।’’ (क़ुरआन 5:17)

‘‘हे नबी, उनसे कहो, कभी तुमने यह भी सोचा कि अगर अल्लाह तुम्हारे देखने और सुनने की शक्ति तुमसे छीन ले और तुम्हारे दिलों पर ठप्पा लगा दे तो अल्लाह के अतिरिक्त कौन ईश्वर है जो यह शक्तियां तुम्हे वापस दिला सकता हो? देखो, किस तरह हम बार-बार अपनी निशानियां इनके सामने प्रस्तुत करते हैं और फिर यह किस तरह उनसे निगाह चुरा जाते हैं।’’ (क़ुरआन 6:46)

‘‘उसने हर चीज़ को पैदा किया है और उसे हर चीज़ का ज्ञान है। यह है अल्लाह तुम्हारा प्रभु, कोई आराध्य उसके सिवा नहीं है, हर चीज़ का सृष्टा। अत: तुम उसी की उपासना करो और वह हर चीज़ का भारधारक है।’’ (क़ुरआन 6:101-102)

‘‘(रही उसकी सम्भावना तो) हमें किसी चीज़ को अस्तित्व प्रदान करने के लिए इससे अधिक कुछ करना नहीं होता कि उसे आदेश दें 'हो जा’ और बस वह हो जाती है।’’ (क़ुरआन 16:40)

‘‘अल्लाह ही तो है जिसने निर्बलता की दशा से तुम्हारे सृजन का आरम्भ किया, फिर उस निर्बलता के पश्चात तुम्हें शक्ति प्रदान की, फिर उस शक्ति के पश्चात तुम्हें निर्बल और बूढ़ा कर दिया। वह जो कुछ चाहता है पैदा करता है। और वह सब कुछ जाननेवाला, हर चीज की सामर्थ्य रखने वाला है।’’ (क़ुरआन 30:54)

‘‘प्रशंसा अल्लाह ही के लिए है जो आकाशों और धरती का आविष्कार करनेवाला और फरिश्तों को संदेशवाहक नियुक्त करनेवाला है, ऐसे फरिश्ते जिनकी दो-दो तीन-तीन और चार-चार भुजाएं हैं। वह सृष्टि-संरचना में जैसी चाहता है अभिवृद्धि करता है। निस्संदेह अल्लाह को हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है।’’ (क़ुरआन 35:1)

‘‘ क्या यह लोग धरती में कभी चले-फिरे नहीं हैं कि इन्हें उन लोगों का परिणाम दिखाई देता जो इनसे पहले गुज़र चुके हैं और इनसे बहुत अधिक शक्तिशाली थे? अल्लाह को कोई चीज़ विवश करने वाली नहीं है, न आसमानों में और न धरती में। वह सब कुछ जानता है और उसे हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है।’’ (क़ुरआन 35:44)

‘‘अल्लाह हर चीज़ का सृष्टा है और वही हर चीज़ पर निगहबान है। धरती और आकाशों के खज़ानों की कुंजियां उसी के पास हैं। और जो लोग अल्लाह की आयतों का इंकार करते हैं वही घाटे मे रहने वाले हैं।’’ (क़ुरआन 39:62-63)

‘‘धरती और आकाशों के राज्य का मालिक वही है, जीवन प्रदान करता है और मृत्यु देता है, और उसे हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है।’’ (क़ुरआन 57:2)

अल्लाह की महान सत्ता की ओर संकेत करनेवाली क़ुरआन की यह कुछ आयतें हैं, जिनसे प्रकट होता है कि संसार का रचयिता केवल वही है, इसमें उसका कोई साझी नहीं है। क़ुरआन ने भूले हुए इस पाठ को विभिन्न प्रकार से याद दिलाया ताकि इसके द्वारा केवल अल्लाह के पूज्य (इलाह) होने को प्रमाणित किया जा सके, जो सारे नबियों की शिक्षाओं का निचोड़ है।