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कुरआन और गैर-मुस्लिम

By: नसीम गाजी

कुछ संस्थाओं और लोगो ने यह झूठा प्रचार किया हैं और निरन्तर किए जा रहे हैं कि कुरआन गैर-मुस्लिम को सहन नही करता। उन्हे मार डालने और जड़-मूल से खत्म कर देने...

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रोज़ों का आध्यात्मिक, नैतिक और सामाजिक महत्व

By: मुहम्मद ज़ैनुल आबिदीन मंसूरी

रोज़ा इस्लाम के पाँच मूल-स्तंभों में से एक है। जो इसकी अनिवार्यता को नकार दे, वह इस्लाम से स्वतः निष्कासित हो जाता है। भोर से संध्या तक.....

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जीने का अधिकार ‘‘ इन्सान’’ को सिर्फ इस्लाम ने दिया है

By: इस्लाम में मानव अधिकार: सैयद अबुल आला मौदूदी (रह0)

अब आप देखिए कि जो लोग मानव-अधिकारों का नाम लेते हैं, उन्होने अगर अपने संविधानों में या ऐलानो ंमें कहीं मानव-अधिकारों का जिक्र किया हैं तो हकीकत में इस में...

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क़ुरआन के अनुवाद

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