इस्लाम - रीतियों का धर्म नही है

इस्लाम - रीतियों का धर्म नही है

इस्लाम -परिचय के सम्बन्ध मे एक बात स्पष्ट रूप से सामने आती है कि यह सिर्फ कुछ धारणाओं, मान्यताओं, परम्परओं, पूजापाठ और रीतियों का धर्म नही है बल्कि एक समग्री धर्म है जो एक पूरी जीवन व्यवस्था को समाहित करता है यह सिर्फ एक जीवन पद्धति नही एक जीवन सहिन्ता है इसलिये ईस्लाम के लिये 'मजहब (धर्म)'के बजाये दीन के परिभासिक शब्द प्रयुक्त होता है

मुसलमानों का पारिवारिक और सामाजिक जीवन इस्लामी कानूनों और इस्लामी प्रथाओं से प्रभावित होता है। विवाह एक प्रकार का कानूनी और सामाजिक अनुबंध होता है जिसकी वैधता केवल पुरुष और स्त्री की मर्ज़ी और २ गवाहों से निर्धारित होती है (शिया वर्ग में केवल १ गवाह चाहिये होता है)। इस्लामी कानून स्त्रियों को भी पुरूषों की तरह विरासत में हिस्सा देते हैं।(हालांकि उनका हिस्सा आम तौर से पुरूषों का आधा होता है।)

इस्लाम के दो महत्वपूर्ण त्यौहार ईद उल फितर और ईद-उल-अज़्हा हैं। रमज़ान का महीना (जो कि इस्लामी कैलेण्डर का नवाँ महीना होता है) बहुत पवित्र समझा जाता है। अपनी इस्लामी पहचान दिखाने के लिये मुसलमान अपने बच्चों का नाम अक्सर अरबी भाषा से लेते हैं। इसी कारण वह दाढ़ी भी रखते हैं। इस्लाम में कपड़े पहनते समय लाज और शीलता रखने पर बहुत ज़ोर दिया गया है। इस लिये कुछ स्त्रियाँ अजनबी पुरूषों से पर्दा करती हैं।